भाग 1
रामपुर के जाने माने बिजनस मैन थे मिस्टर रायचंद सक्सेना जी शहर ही क्या इनका नाम पूरी दुनिया मे एक चमकता हुआ नाम था बहुत इज़्ज़त थी उनकी जितनी ऊँची हस्ती के मालिक थे उसने विपरीत ही उनका स्वभाव था घमंड नाम का भी उनके व्यक्तित्व को छू भी नही पाया था छोटा हो या बड़ा सभी वर्ग के लोगो को मानसम्मान देते थे जिसके भी मुख से सुन लो उनकी तारीफ के अलावा दूसरे कोई और शब्द निकलता ही नही था !
भगवान की असीम कृपया थी उन पर ज़िंदगी मे कोई कमी नही थी उन के जीवन मे , अच्छा परिवार अच्छी आय दिलो पर राज करते थे रायचंद जी !
माँ पापा ने सुन्दर सुशील समझदार लड़की से उनकी शादी करवा दी थी पत्नी भी लाखो में एक मिली थी उन्हें जैसे रायचंद जी का स्वभाव थे वैसे ही काव्या का था जल्द ही काव्या ने भी सभी के दिल मे अपनी एक अलग जगह बना ली थी सांस ससुर ऐसी बहु पा कर खुद को धन्य मानते थे और साथ ही साथ भगवान का हज़ारों बार कोटि कोटि नमन करते थे जहाँ समाज बहुओं के किस्सों से भरा हुआ था वही उनके घर को जन्नत बना कर रखा था काव्या ने , जीवन सुखसमृद्धि से बीत रहा था !
आज काव्या की शादी को 3 साल हो गए थे पर आज भी उसकी गोद सुनी थी बड़े से बड़े डॉ को दिखाया गया पर सब ने ये ही कहा दोनो में कोई कमी नही है काव्या अक्सर आप उदास रहने लगे गयी थी वो रायचंद से कहती भगवान ने हमे सब कुछ दिया है अपने भी मुझे कोई कमी नही होने दी है हमारा हर काम अच्छे से अच्छा होता हैं इस बात के लिए में भगवान को धन्यवाद करती हूँ मुझे उससे एक ही शिकायत है अब तो उसने मुझे मातृत्व से महरूम रखा है मेरी ममता को उसने तपस्या बना दिया है जब भी अपनी कोख को देखती हूँ दिल मे एक टिस सी उठती है ऐसा क्या गुनाह किया मैने जो आज तक मुझे एक औलाद के लिए तरस रहे हैं ये सब धन दौलत किस काम की है जब इसका कोई सुख भोगने वाला ही नही है उसकी आँखों से नीर थे कि रुकने के नाम ही नही ले रहे थे रायचंद ने उसे अपने गले से लगाया और बोले काव्या इस मे कोई भी कुछ नही कर सकता भगवान की मर्जी है ये ये तुम्हारे ओर मेरे इम्तिहान की घड़ी है इजमे हम दोनों को हारना नही है जितना है देखना एक न एक दिन ईश्वर हमारी दुआ सुन ही लेगा तुम विस्वास रखो उस पर बस !
कुछ समय बाद काव्या की सुनी गोद हरी हो गयी थी दोनो बहुत खुश थे और वक़्त भी आ गया जब उनकी हवेली खुशियों से चहक उठी इतनी साज सज्जा जो आज से पहले किसी ने नही देखी थी पूरे जहाँ से लोगो को भुलाया गया घर मे उत्सव मनाया जा रहा था काव्या को बेटी हुई थी उसकी खुशी रायचंद जी दुनिया को सुनना चाहते थे सभी ने उनकी बेटी को बहुत प्यार और आशीर्वाद दिया माँ की आँखों का तारा पापा की दुलारी दादा दादी की जीने की वजह थी वो इतने वक़्त के बाद जो आई थी सभी का प्यार पा कर बड़ी होती जा रही थी सलोनी , वेसे तो सलोनी बड़ी ही सुंदर नाक नक्शे की थी उसकी बड़ी बड़ी भूरे रंग की आँखे गुलाब की पंखुड़ियों से नाजुक से होंठ सुन्दर काया की स्वामी थी बस उसका रंग थोड़ा सावला था !
जैसे जैसे सोनाली बड़ी हो रही थी कुछ लोग उसके कालेपन का मजाक बनाते थे जिससे वो बहुत आहत हुआ करती थी स्कूल में उसे कुछ शैतान बच्चे अक्सर परेशान करते थे कोई कहता माँ तो इतनी गोरी है पापा का भी रंग ठीक है तेरे घर मे तो इस कोई नही है हमे तो लगता ये उनकी औलाद ही नही है
इस को तो कही से उठा कर ले आये होंगे उनकी तो है ही नही कोई कहता इतनां पैसा है बेटी के शरीर पर भी लगा कहा ले जाएंगे इतना पैसा बचा कर कोई कहता ये लगाने से तेरा रंग गोरा हो जाएगा सलोनी वही करने लगती फिर उसपर सब मिल कर हंसते !
एक दिन एक बच्चे ने सलोनी को बोला कर बोला सलोनी मेरे पास एक बहुत ही अच्छा फार्मूला हाथ लग है जिससे तू बहुत गोरी हो जाएगी !
क्या ऐसा हो सकता है क्या में भी तुम सब की जैसी हो जाऊँगी हा हा तू चल तो सलोनी उससे पीछे पीछे चल देती है !
अब सलोनी से क्या करवाने वाले है ये लोग क्या सैलून8 उस फार्मूले को लगा कर गोरी हो जाएंगी या फिर से कोई साजिश रची जा रही थी उसके खिलाफ जानने के लिए आगे अगले भाग में मिलते हैं ,,,,,,,,
madhura
21-Mar-2023 01:13 PM
nice
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वानी
31-Jan-2023 09:17 AM
Bahut खूबसूरत रचना
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Babita patel
18-Jan-2023 05:39 PM
beautiful starting
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